Monday, July 14, 2014

एस्कॉर्ट क्या और क्यों ?



आज से पूरे महाराष्ट्र की सभी ट्रांसपोर्ट असोसिएसनों ने चक्का जाम यानि राज्य व्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है। घोषणा १५ दिन पहले हो चुकी है। मुंबई के आजाद मैदान में एक धरना प्रदर्शन भी हो चूका है। न मिडिया ने तवज्जो दी और न ही सरकार ने। वैसे भी सरकार  जागती है जब पानी  ऊपर से गुजर चूका  होता है।

मुद्दा है 'एस्कॉर्ट ' नाम के एक अर्थहीन टैक्स का। एस्कॉर्ट जानने के लिए एस्कॉर्ट का इतिहास जानना जरूरी है।  महाराष्ट्र में विभिन्न नगरपालिकाएं अपने क्षेत्र में प्रवेश करने वाले हर माल पर चुंगी लगाती थी , जिसे कहते थे - ऑक्ट्रॉई। जब बाहर की गाड़ियां नगरपालिका सीमा में प्रवेश करने के पहले घोषणा करती थी की लदा हुआ माल नगरपालिका सीमा में नहीं उतरेगा बल्कि नगरपालिका के क्षेत्र को पार कर के आगे जाएगा। ऐसी घोषणा की विश्वश्नीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए नगरपालिकाओं ने एक व्यवस्था बनायीं। उस के  अनुसार ऐसे वाहन पर नगरपालिका एक व्यक्ति को बैठा देती थी , जिसका काम होता था - ऐसे वाहन को नगरपालिका की सीमा के बाहर तक विदा कर के आना ; ताकि ये पक्का हो सके की आयातित माल नगरपालिका की सीमा के अंदर नहीं उतारा गया है। इस तरह साथ जाने वाले व्यक्ति को कहा जाता था - 'एस्कॉर्ट ' ! उस व्यक्ति की आमदनी  करने के लिए  एक छोटा सा व्यय वसूला जाता था , जिसे कहते थे - चार्जेज।

कालांतर में कई नगरपालिका क्षेत्रों के बाहर से बाई पास रोड बना दिए गए।  बाई पास रोड बनाने का उद्देश्य यही होता है की जिन वाहनों को उस क्षेत्र में कोई काम न हो वो प्रवेश न करें. ऐसी स्थिति में जब ऑक्ट्रॉई की सीमा में वो  ही नहीं तो वहां नगरपालिका का कोई काम नहीं था।  लेकिन नगरपालिकाओं ने अपनी एस्कॉर्ट से होने वाली आमदनी जारी  रखते हुए इन बाई पास रास्तों पर भी एस्कॉर्ट वसूली के पोस्ट बना दिए।  अब एक  ही अंतर था।  कोई व्यक्ति एस्कॉर्ट के रूप में साथ में नहीं जाता था , लेकिन एस्कॉर्ट चार्जेज कई गुना बढ़ चुके थे।

अब आगे देखिये ! धीरे धीरे सभी नगरपालिकाओं ने ऑक्ट्रॉई वसूली समाप्त कर दी। आज महाराष्ट्र में मुंबई के अलावा कहीं ऑक्ट्रॉई नहीं बची है। ऐसी स्थति में एस्कॉर्ट चार्जेज तो अपने आप ही समाप्त हो जाने चाहिए थे। लेकिन ऐसा  हुआ नहीं। एस्कॉर्ट के  वसूला जाने वाला व्यय आज एक बड़ी राशि के रूप में हर आने जाने वाले माल वाहन से जजिया कर की तरह वसूला जाता है।

सरकार ने बुद्धि के दरवाजे बंद कर रखे हैं।  समय समय पर उठने वाली परिवहन क्षेत्र की गुहार का कोई असर नहीं पड़ता।  आखिर कार बॉम्बे  ट्रांसपोर्ट असोसिएसन के तत्वाधान में हो रही आज से हड़ताल। कल शाम तक की सूचना के अनुसार पृथ्वीराज चौहान सरकार ने बातचीत के लिए आज बुलाया है।  देखें क्या होता है। ये गूंगी और बहरी सरकार नगाड़ों की आवाज नहीं सुन पाती ; इसलिए  इसके कानों में गरम गरम तेल डालना पड़ता है ; शायद अब  के ये सरकार !

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